बुधवार, 4 अगस्त 2010

1.कला के क्षेत्र में बढ़ते भारतीय

बी.बी. सी. से साभार
आर्ट रिव्यू पत्रिका
पिछले छह साल से कला की दुनिया के प्रभावशाली लोगों की सूची निकाली जा रही है
आधुनिक कला की जानी मानी पत्रिका आर्ट रिव्यू ने कला की दुनिया के सौ प्रभावशाली लोगों की सूची में पहली बार तीन भारतीय नागरिकों को शामिल किया है.

ऐसा पहली बार हुआ है जब आर्ट रिव्यू ने प्रभावशाली लोगों की सूची में किसी भी भारतीय को शामिल किया हो. इस बार इस सूची में कलाकार सुबोध गुप्ता, ओसियान नीलामी घर के प्रमुख नेविल तुली और आर्ट कलेक्टर अनुपम पोद्दार शामिल हैं.

हालांकि इन सभी को सूची में काफी पीछे रखा गया है लेकिन इसके बावजूद विशेषज्ञ कहते हैं कि ये कला के क्षेत्र में भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाता है.

सुबोध गुप्ता मूलत पेंटिग्स और इन्सटॉलेशन्स बनाते हैं और उनकी कृतियां दुनिया भर में लाखों रुपए में बिकती हैं. उन्हें इस सूची में 85वां स्थान दिया गया है.

भारत में कला का बाज़ार 1500 करोड़ रुपए से अधिक का है.

लंदन की पत्रिका आर्ट रिव्यू पिछले छह साल से प्रभावशाली लोगों की सूची निकालती है. यह सूची निजी आर्ट कलेक्शन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्ति विशेष के प्रभाव और बाज़ार में किसी के काम के मूल्यांकन जैसे मानदंडों पर अपनी सूची में किसी को भी स्थान देती है.

भारत के नेविल तुली को सूची में 99वां और अनुपम पोद्दार को 100वां स्थान मिला है.

तुली मुंबई में ओसियान नीलामीघर के प्रमुख हैं और मार्डन आर्ट को भारत में लोकप्रिय बनाने में उनका खासा योगदान माना जाता है.

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कला बाज़ार में पेंटिगों और अन्य कृतियों की कीमतों में भारी उछाल आया है. इतना ही नहीं विदेशों में भारतीय कलाकारों के कृतियों की कई प्रदर्शनियां भी लगी हैं.

हालांकि इसके बावजूद विशेषज्ञ कहते हैं कि इस सूची को बनाने वालों ने उन कलाकारों पर अधिक ध्यान दिया जिनके संबंध में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कवरेज की है.

सूची के तीनों ही भारतीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सक्रिय रहे हैं और सूची में शामिल होने का यह एक बड़ा कारण बताया जाता है.

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